आज, 25 नवंबर 2025 को, उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य शिखर पर भगवा “धर्म ध्वज” (ध्वजारोहन) फहराया गया — एक ऐसा क्षण जिसे हजारों वर्षों से प्रतीक्षित माना जा रहा था।
214.1) मुख्य घटनाएँ
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समारोह के शुभ मुहूर्त में ध्वजारोहन किया, साथ में मौजूद थे मोहन भागवत (आरएसएस प्रमुख) और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।
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ध्वज 10 फुट ऊँचा व 20 फुट लंबा तिकोने आकार में तैयार किया गया, जिसमें सूर्य, “ॐ” और कोविदारा वृक्ष की आकृति अंकित है।
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ये समारोह मंदिर के निर्माण कार्य के समापन तथा आस्था-यात्रा के एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक माना जा रहा है।
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अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी थी — रोड शो, भीड़ प्रबंधन, ड्रोन निगरानी सहित व्यापक व्यवस्था लागू की गई।
214.2) प्रतीकात्मक एवं धार्मिक अर्थ
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ध्वजारोहन को धार्मिक विद्वानों ने इस रूप में देखा है कि यह उस “त्रेता युग” की परंपरा से जुड़ा हुआ है जिसमें भगवान राम और माता सीता का विवाह हो हुआ माना जाता है — आज उसी पंचमी तिथि पर ये कार्यक्रम संपन्न हुआ।
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ध्वज का केसरिया रंग त्याग-बलिदान-भक्ति का प्रतीक है। मंदिर के शिखर पर इसका आरोहण, शृंखला में चल रहे निर्माण-संकल्प का सिरा माना जा रहा है।
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प्रधानमंत्री ने समारोह के बाद कहा कि “सदियों के घाव भर रहे हैं” और यह क्षण “भारतीय सभ्यता के पुनरुत्थान” का प्रतीक बन रहा है।
214.3) प्रशासन-और-समारोह की तैयारियाँ
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स्थानीय प्रशासन ने अयोध्या को विशेष सुरक्षा जोन घोषित कर 2.5 किमी के रामपथ हिस्से को बंद कर दिया गया; हजारों सुरक्षा कर्मी, तकनीकी दस्ता एवं ड्रोन निगरानी तैनात थीं।
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मंदिर परिसर को भव्यता से सजाया गया था — रंग-बिरंगी लाइटिंग, फूल-प्रदाय, प्रसाद सेवा आदि के माध्यम से भक्तों के लिए वातावरण तैयार किया गया था।
214.4) महत्व और प्रतिक्रिया
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इस समारोह को धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से एक “पूर्णता का चरण” माना जा रहा है — मुख्य शिखर पर ध्वज फहराने का अर्थ है कि मंदिर का निर्माण कार्य लगभग पूर्ण कर लिया गया है।
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राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से भी यह कार्यक्रम चर्चा में रहा — कुछ विपक्षी नेताओं ने इसे धर्म-राजनीति से जोड़ कर प्रश्न उठाए हैं।
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आयोजकों का कहना है कि यह क्षण हिंदू आस्था, भारतीय संस्कृति और 140 करोड़ भारतवासियों की एकता का प्रतीक बन सकता है।
214.5) आगे क्या देखने को मिलेगा
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इस आगे कार्यक्रमों में मंदिर परिसर में भक्तों की आम उपस्थिति, दर्शन-पूजन की सुविधाएं, और देश-विदेश में लाखों लोगों द्वारा लाइव प्रसारण के माध्यम से जुड़ने की संभावना है।
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स्थापत्य-रेखा के अनुसार बाहरी निर्माण कार्य अब स्थिर हो गया माना जा रहा है; इस ध्वजारोहन के बाद मंदिर को पूर्णतः “समाप्त” घोषित किया जा सकता है।
सामाजिक-धार्मिक एवं सांस्कृतिक विमर्श — जैसे कि धार्मिक प्रतीकों का प्रयोग, संविधान-राष्ट्र-धर्म का संबंध, पट्ट व्यवस्था आदि — इन विषयों पर चर्चा तेज होने की संभावना है।
Team Yuva Aaveg-
Adarsh Tiwari
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